लखनऊ।उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर आज मतदान हो रहा है। इसमें अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में मतदान हो रहा है। रामायण के राम अरुण गोविल और ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के भविष्य का फैसला आज शुक्रवार को हो जाएगा। पहले चरण में जिस तरह से मतदान हुआ है जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी के माथे पर चिंता की लकीरें हैं।इसलिए भाजपा मतदान को लेकर खास सतर्क हो गई है।दूसरे चरण के मतदान में यूपी की 8 सीटों पर मुकाबला भाजपा के लिए 2019 जितना आसान नहीं है।केवल बसपा ही भाजपा के लिए चिंता का कारण नहीं है, कई अन्य मुद्दों से भी भाजपा घिरी हुई है।इन सीटों पर जिस तरह का माहौल बना हुआ उससे यही लगता है कि चुनाव का दूसरा चरण भी भाजपा के लिए खुशी नहीं देने वाला है।इसके पीछे ये 5 चैलेंज भाजपा को खाए जा रहे हैं।
भाजपा के लिए गर्मी बन गई खलनायक
पहले चरण के दौरान यूपी की आठ सीटों पर 60.25 फीसदी मतदान होना भाजपा के लिए चिंता का विषय था। कहा जाता है कि कम मतदान होने से हमेशा भाजपा को नुकसान होता रहा है।शायद यही वजह है कि भाजपा हर बूथ पर सक्रियता बढ़ाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा दिया है।दूसरे चरण के लिए नई रणनीति पर काम शुरू किया गया। पन्ना प्रमुखों को हर बूथ से वोटर्स को निकालने का टारगेट दिया गया है।एक पन्ना प्रमुख 60 वोट घर से निकलने की जिम्मेदारी निभाएगा।इस काम के लिए यूपी सरकार के मंत्रियों और विधायकों के साथ संगठन के पदाधिकारियों को हर जिले में जिम्मा दिया गया है।जाहिर है कि पश्चिमी यूपी में जिस तरह हर सीट पर कांटे की टक्कर है उसमें एक-एक वोट की कीमत है। इस बीच पिछले चरण के चुनाव के मुकाबले गर्मी और बढ़ गई है।अगर आज सूरज अपने ताप पर रहता है तो भाजपा के वोटर्स लापरवाही कर सकते हैं।
राजपूतों की नाराजगी
दो बार के सांसद जनरल वीके सिंह को टिकट देने से इनकार करने के बाद भाजपा यहां प्रतिनिधित्व को लेकर राजपूतों के गुस्से का शिकार है। गुजरात में भाजपा नेता रुपाला के बयान से राजपूतों ने नाराज होकर कई जगहों पर राजपूत सम्मेलन किए हैं। राजपूतों को कसम खिलाई गई है कि भाजपा को वोट नहीं देना है।कोढ़ पर खाज यह है कि गाजियाबाद, नोएडा में बसपा ने राजपूत उम्मीदवार उतारा हैं,जबकि भाजपा ने गाजियाबाद में वैश्य अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है।वहीं बसपा के उम्मीदवार नंद किशोर पुंडीर ठाकुर हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार डॉली शर्मा ब्राह्मण।नोएडा में भाजपा के उम्मीदवार पूर्व मंत्री और दो बार के सांसद महेश शर्मा भाजपा के टिकट पर फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके मुकाबले सपा के डॉ. महेंद्र नागर, एक गुर्जर और बसपा के पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी राजपूत हैं।फिलहाल इन दोनों सीटों गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में भाजपा बहुत मजबूत स्थित में है।इसलिए राजपूतों की नाराजगी का असर शायद न पड़े पर पश्चिम यूपी की अन्य सीटों पर जहां भाजपा कमजोर है वहां राजपूत भाजपा की बैंड बजा सकते हैं।
लोकल मुद्दे हावी
भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनावों में वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़े तो फायदा हो सकता है, लेकिन विपक्ष ने पश्चिमी यूपी के इन सीटों पर माहौल को स्थानीय बना दिया है।स्थानीय मुद्दे हावी होने से भाजपा को काफी वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।बसपा ने पश्चिम यूपी को राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठा दिया है। इसके साथ ही मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर सीटों पर गन्ने की कीमतें और उनका समय पर भुगतान, आवारा जानवरों की समस्या, बढ़ती कीमतें और बंद फैक्ट्रियां जैसे मुद्दे छाए गए हैं।मथुरा में यमुना की सफाई और धार्मिक पर्यटन के विकास तथा नये उद्योगों की स्थापना का मुद्दों पर जनता वोट देने की बात कर रही है। गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर मतदाताओं के पास फ्लैटों की रजिस्ट्री, भूमि अधिग्रहण और मुआवजा मिलने में देरी जैसे मुद्दे हावी हैं।
बसपा ने फंसा दिया पेंच
आम तौर पर यह कहा जाता रहा है कि बसपा यूपी में भाजपा की बी टीम के तौर पर काम कर रही है,लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा का सबसे अधिक नुकसान बसपा ही कर रही है।बसपा ने चुन-चुन कर ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं जो भाजपा पर भारी पड़ने वाले हैं।गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में राजपूतों की भाजपा से नाराजगी को देखते हुए बसपा ने इन दोनों जगहों पर राजपूत उम्मीदवार उतारा है। मेरठ लोकसभा से भाजपा से अरुण गोविल मैदान में है,तो बसपा से देवव्रत त्यागी हैं।यहां भी त्यागी प्रत्याशी की वजह से भाजपा कमजोर हो रही है। अलीगढ़ में भाजपा ने यहां मौजूदा सांसद सतीश गौतम को मैदान में उतारा है।बसपा ने भाजपा से ही आए हितेंद्र कुमार को मैदान में दिया है जो ब्राह्मण हैं। इसी तरह मथुरा लोकसभा से लगातार दो बार फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी चुनाव जीत रही हैं। भाजपा ने हेमा मालिनी फिर मैदान में उतारा है। बसपा ने मथुरा से जाट बिरादरी से आने वाले आईआरएस रहे सुरेश सिंह को मैदान में उतारा है। जाहिर है कि मथुरा सीट पर जाटों का वोट कटना तय है।